
Contents
- 1 Ambedkarvaad:भारतीय संविधान के निर्माता – डॉ. अंबेडकर की भूमिका एवं विचारधारा
- 1.1 Ambedkarvaad:डॉ. अंबेडकर को संविधान के निर्माता क्यों कहा जाता है?
- 1.2 भारत के संविधान निर्माण में डॉ. अंबेडकर की भूमिका क्या थी?—-
- 1.3 संविधान के मूल तत्व क्या है? इसपर अंबेडकर की सोच—
- 1.4 आरक्षण प्रावधान का उद्देश्य क्या मानते थे डॉ.भीमराव अंबेडकर ?
- 1.5 धर्मनिरपेक्षता एवं कानून का राज—
- 1.6 क्या था डॉ.भीमराव अंबेडकर जी का सपना था? –
- 1.7 महिलाओं एवं श्रमिकों के अधिकार के बारे में क्या सोचते थे?—
- 1.8 समारोप —
Ambedkarvaad:भारतीय संविधान के निर्माता – डॉ. अंबेडकर की भूमिका एवं विचारधारा
Ambedkarvaad:डॉ. अंबेडकर को संविधान के निर्माता क्यों कहा जाता है?
(Ambedkarvaad Article by Dr.Nitin Pawar,Editor- Satyashodhak News)
Ambedkarvaad:भारतीय संविधान के निर्माता रहे डॉ.भिमराव अंबेडकर की संविधान के संबंध में भूमिका एवंविचारधारा पर यह लेख लिखा गया है। अंबेडकर जयंती 2025 के अवसर पर सत्यशोधक न्युज की हिंदी न्युज,सामाजिक तथा आंबेडकरवाद केटेगरी के द्वारा लिखा जाने वाला यह दुसरा लेख है| आशा है की हमारे पाठक इसका स्विकार करेंगे|तब मुझे भी आगे लिखने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा| ध्यान में रखे की यह लेख सिर्फ बेसिक जानकारी देंगे|बाबासाहब को समझना उतना आसान काम नहीं है। मेरा जीवनभर का समय इस ए समझण में गया है| आगे बहुत कुछ लिखने की आकांक्षा रखता हुं|आप निश्चिंत रहे|
प्रस्तावना —
डॉ. भीमराव अंबेडकर एक समाज सुधारक एवं महान नेता ही नहीं थे| वो कानुन विशेषज्ञ भी थे| और वो भी आंतरराष्ट्रीय स्तर के ! उन्होंने आधुनिक स्वतंत्र भारत के लोकतत्र के ढांचे की नींव भी रखनेवाले रहे हैं । उन्हें “भारतीय संविधान का निर्माता” इसलिए ही कहा जाता है| क्योंकि उन्होंने संविधान ऐसा तैयार किया जो सामाजिक न्याय, समानता एवं स्वतंत्रता के सिद्धांत पर आधारित हैं ।
भारत के संविधान निर्माण में डॉ. अंबेडकर की भूमिका क्या थी?—-

देश की स्वतंत्रता के बाद 29 अगस्त 1947 को संविधान कमिटी द्वारा डॉ. अंबेडकर को संविधान ड्राफ्ट समिति के अध्यक्षपद पर नियुक्त किया गया।डॉ. भीमराव अंबेडकर ने वैविध्यपुर्ण सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक वर्गों /जातीयो को समान अधिकार दिलाने वाला देश का संविधान तैयार किया।लगभग 2 साल 11 महीने में यह काम डॉ. भीमराव अंबेडकर ने पूर्ण किया| 26 जनवरी 1950 को भारत एक सार्वभौम गणराज्य/देश बना।
संविधान के मूल तत्व क्या है? इसपर अंबेडकर की सोच—
न्याय –
सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय
डॉ. भीमराव अंबेडकर के इस संविधान का मुलाधार हैं।
समानता –
कानून की नजर में सभी भारतीय लोग समान/बराबर मानते थे डॉ.भीमराव अंबेडकर !
स्वतंत्रता –
स्वतंत्रता
विचार की, अभिव्यक्ति की, धर्म की, विश्वास की आस्था की,आदी मानते थे डॉ.भीमराव अंबेडकर !
बंधुता –
भारत के सभी नागरिकों के बीच भाईचारा, राष्ट्रीय एकता और अखंडता मानते थे डॉ.भीमराव अंबेडकर !डॉ. अंबेडकर को सुनिश्चित था कि हर भारतीय नागरिक को अपने अधिकारों के साथ जीने का समान अवसर प्राप्त हो।
आरक्षण प्रावधान का उद्देश्य क्या मानते थे डॉ.भीमराव अंबेडकर ?
डॉ.भीमराव अंबेडकर जी अनुसुचित जातीयां और जनजातियों को शिक्षा में और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान रखा|आरक्षण की व्यवस्था असमानता को कम करने में कारगर साबीत होने वाली थी |ये आज दिखाई देता है| अनुसुचित जाती और जनजाति को सारे क्षेत्रों में समान अवसर प्रदान कराने के हेतु बनाई गई थी।डॉ.भीमराव अंबेडकर विचार था कि जब तक सामाजिक समानता नहीं आती, तब तक ऐसे विशेष संरक्षण की ज़रूरी है।
धर्मनिरपेक्षता एवं कानून का राज—
डॉ.भिमराव अंबेडकर ने भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में परिभाषित करने का प्रयास किया| जिसमें हर धर्म का सम्मान हो सके !डॉ.भीमराव अंबेडकर ने यह सुनिश्चित कर दिया कि देश की सरकार धर्म से प्रभावित नहीं होगी |वो सरकार कानून के आधार पर काम करेगी ।
क्या था डॉ.भीमराव अंबेडकर जी का सपना था? –
वो था “राजनीति और धर्म का अलगाव।”! धर्म राजनिती में ना हो ऐसा मानते थे डॉ.भीमराव अंबेडकर !डॉ.भीमराव अंबेडकर जी
महिलाओं एवं श्रमिकों के अधिकार के बारे में क्या सोचते थे?—

डॉ.भीमराव अंबेडकरजीने देश के महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए ‘हिंदू कोड बिल’ का प्रस्ताव रखा था।श्रमजीवी लोगों के लिए काम के घंटे,उनकी मजदूरी और उनकी सुरक्षा के संबंध में डॉ.भीमराव अंबेडकरजी ने कई कानूनों का प्रावधान संविधान में रखा ।डॉ.भीमराव अंबेडकर ने अपने पूरे जीवन में समानता के साथ समाज का अस्तित्व रखने पर जोर देकर देश के लिए काम किया।
समारोप —
डॉ.भिमराव अंबेडकरजी ने भारत के लिए केवल एक संविधान नहीं बनाया| पर देश को एक ऐसा ‘दर्शन’ दीया है | जो हमेशा देश लोकतांत्रिक नींव को मजबूत रखेगा । डॉ.भीमराव अंबेडकर का संविधान समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाला तथा मार्गदर्शक करनेवाला एक ग्रंथ है।