बाबासाहब जरूरी क्यौं हैं?बाबासाहब को सिर्फ साल में एक या चार दिन याद करना वाकयी पर्याप्त नहीं है | हमें उनकी शिक्षाओं को जीवन में ,समाज में उतारना पडेगा । इसलिए आंबेडकर जयंती को इस बार एक 'प्रतिज्ञा दिवस' बनाना पडेगा |वो प्रतिज्ञा जो समानता, शिक्षा,एवं इंसानियत के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा होगी |
“बाबासाहब जरूरी क्यों हैं”?: हर साल हम सब पुरा देश और विश्वभर में 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती बड़े गर्व एवं श्रद्धा के साथ सब मनाते हैं। पर क्या केवल माला अर्परण एवं नारे लगाने से बाबासाहब को याद करना पर्याप्त है? क्या हमने सच में समझा है “बाबासाहब जरूरी क्यों हैं”?
आजका भारत विविधताओं, असमानताओं एवं सामाजिक चुनौतियों से भरा पडा रहा है| ऐसी स्थिती में डॉ. आंबेडकर की शिक्षाएं, विचारधारा एवं उनका जीवन-दर्शन इससे पहले से भी कहीं जादा प्रासंगिक हो गया है। तो आइए, इस लेख के माध्यम से हम समझते हैं बाबासाहब आज भी देश के लिए क्यों जरूरी हैं?
भारत में जातिवाद के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक हें डॉ. आंबेडकर !—-
डॉ. आंबेडकरने उनका पूरा जीवन जातिवाद के खिलाफ लड़ने में लगाया । वे सिर्फ दलितों की आवाज नहीं है | उन्होंने पूरे भारतीय समाज को इंसानियत, समानता एवं न्याय की दिशा में सोचने को सिखाया । आज भी जातीगत भेदभाव हमारे समाज में जिंदा है| चाहे वह शिक्षा में हो, नौकरियाँ हों या फिर सामाजिक व्यवहार में हो ! जाती जुबान पर नहीं आती लेकिन मन होतीही है|
इसलिए बाबासाहब जरूरी हैं ! जब तक एक भी व्यक्ति जातिवाद का शिकार होगा तब तक बाबासाहेब का संघर्ष अधूरा रहेगा ।
संविधान निर्माता एवं लोकतंत्र के प्रहरी बाबासाहेब —-
भारत का संविधान डॉ.आंबेडकर के नेतृत्व में बना | जो न केवल देश का कानूनी ढांचा नहीं है| समता, स्वतंत्रता एवं बंधुत्व का घोषणापत्र है। आज अगर संविधान पर सवाल उठाए जायेंगे या उसकी आत्मा (मुलभुत ढांचा) को कमजोर करने का प्रयास होगा तो बाबासाहब की दूरदर्शिता एवं संघर्ष की याद जरूर रखनी पडेगी ।
बाबासाहब जरूरी हैं क्योंकि उन्होंने देश को ऐसा संविधान दिया जो हर व्यक्ती को अधिकार देता है| चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग का हो।
शिक्षा का महत्व बाबासाहेब ने सिखाया—-
बाबासाहब अंबेडकर मानते थे “शिक्षा वह शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं”।वे हमेशा शिक्षा को वंचित वर्गों के लिए मुक्ति का मार्ग बताते थे। आज भी समाज के कुछ वर्ग शिक्षा से बहुत दूर हैं। सरकारी आंकड़े एवं ज़मीनी वास्तव इस बात का सबुत हैं| हमारा समाज अभी भी शिक्षा के क्षेत्र में समानता नहीं ला पा रहा हैं।
बाबासाहब जरूरी हैं क्योंकि तब तक जबतक हर बच्चा शिक्षा से वंचित होगा| और तब तक बाबासाहेब का सपना अधूरा रहेगा।
वैसे बहुत कम लोगोंको मालुम हैं कि बाबासाहब ने महिलाओं के अधिकारों के लिए बडे क्रांतिकारी काम किए हैं । उन्होंने ‘हिंदू कोड बिल’ उसी के लिए लाया था ! उसमें महिलाओं को संपत्ति का अधिकार, विवाह एवं तलाक में महिलाओं को स्वतंत्रता जैसे अधिकार देने की बुनियाद रखी थी। इसके लिए उन्हें विरोध भी झेलना पड़ा था | पर आखिर वो बिल मंजुर भी करना पडा ना|
बाबासाहब जरूरी हैं क्योंकि आज भी महिलाओं को समान अवसर एवं अधिकार नहीं दिये जाते।
वैज्ञानिक सोच एवं तार्किक दृष्टिकोण के सबसे बडे समर्थक ये बाबासाहेब —-
बाबासाहब ने हमेशा अंधविश्वास, अज्ञानता तथा रूढ़िपरंपराओं का विरोध किया। उन्होंने तर्क, विवेक एवं वैज्ञानिक सोच देने पर ज़ोर दिया। आज जब समाज में बहुत सारी अफवाहें निकलती है। फेक न्यूज़, धार्मिक उन्माद फैलाने के प्रयास होते है, तब बाबासाहेब की वैज्ञानिक सोच एवं विवेकशील दृष्टिकोण की बेहद जरूरी मालुम पडती है।
बाबासाहब जरूरी हैं क्योंकि उन्होंने सिखाया असली धर्म वो होता है, जो इंसानियत सिखाता है, नफरत नहीं।
बाबासाहब ने इंसानियत को धर्म से ऊपर और जादा महत्वपुर्ण समझा। उनका जीवन दर्शन एक सर्व समावेशी समाज की सोच थी| जिसमें कोई ऊँच-नीच, भेदभाव ,असमानता ना रहेगी । उन्होंने “एकजुट और अखंड. भारत” का सपना देखा था |जिसमें हर कोई सम्मान से जी सकेगा।
6. आज के युवा और बाबासाहब—-
आज का युवा तेज़ है, जागरूक है, सवाल भी पूछता है| लेकिन वो अपने अधिकारों एवं इतिहास को जानता है? क्या उसमें यह समझ है कि जो अधिकार वो उपयोग में लाता है, उनके पीछे योगदान एवं संघर्ष है?
बाबासाहब जरूरी हैं क्योंकि उनके विचारों से देश के युवाओं को दिशा मिलती है| आत्मसम्मान मिलता है| संघर्ष की प्रेरणा मिलती है।
आंबेडकर जयंती सिर्फ उत्सव नहीं, एक प्रतिज्ञा —-
बाबासाहब को सिर्फ साल में एक या चार दिन याद करना वाकयी पर्याप्त नहीं है | हमें उनकी शिक्षाओं को जीवन में ,समाज में उतारना पडेगा । इसलिए आंबेडकर जयंती को इस बार एक ‘प्रतिज्ञा दिवस’ बनाना पडेगा |वो प्रतिज्ञा जो समानता, शिक्षा,एवं इंसानियत के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा होगी |
समारोप—
बाबासाहब हमेशा जरूरी रहेंगे !
डॉ. आंबेडकर केवल एक नाम नहीं है |बल्कि एक विचार हैं।एक दर्शन है। एक फिलोसफी है। वो विचार जो समाज को जोडेगा | तोडेगा नहीं, तोडने देगा नहीं | वो सोचने पर मजबूर करेगा । आज समाज में असहमति, असहिष्णुता एवं सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक असमानता बढ़ रही है | ऐसै वक्त में बाबासाहब की जरूरत और कयी गुना बढ़ जाती है।
बाबासाहब जरूरी हैं, क्योंकि उन्होंने हमें संविधान दिया है। सोचने का तरीका और अधिकार दिया है।
बाबासाहब जरूरी हैं, क्योंकि उन्होंने न्याय सिर्फ कोर्ट से नहीं, समाज से भी मिलने का सपना देखा था ।
बाबासाहब जरूरी हैं, क्योंकि वे सिर्फ इतिहास नहीं है बल्की भविष्य भी हैं।
डॉ. नितीन पवार (D.M.S. – Management)
पत्रकार, संपादक, लेखक, ब्लॉगर व मानव अधिकार कार्यकर्ते.
शिरूर (पुणे) येथील रहिवासी.
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